सफलता की कहानियां

Success Stories (विकेन्द्रीकृत मत्स्य बीज पालन नर्सरी योजना)

मछली पालन हेतु पर्याप्त मात्रा में उचित किस्म के मत्स्य बीज की समय पर प्रतिवर्ष उपलब्धता एक महत्वपूर्ण कारक है। एक आंकलन के अनुसार उपयोजना क्षेत्र के सभी जलाशयों में मछली पालन के लिये प्रतिवर्ष लगभग 4.5 करोड आंगुलिक स्तर के मत्स्य बीज की मांग है। जिसके विरूद्ध सभी स्त्रोतों से लगभग 1.5 करोड मत्स्य बीज ही उपलब्ध हो पाता है। शेष लगभग 3 करोड आंगुलिक मत्स्य बीज की अनुपलब्धता के कारण वर्तमान में मछली पालन हेतु उपयोग मंें लिये जा रहे जल क्षेत्र की तुलना में तीन गुना अधिक क्षेत्र में मछली पालन का कार्य नहीं किया जा रहा है।

उपयोजना क्षेत्र में स्थित जलाशयों में मत्स्य विकास किये जाने के लिये आवश्यक मत्स्य बीज की स्थानीय रूप से पूर्ति एवं स्थानीय जनजातियों की निजि भूमि पर मत्स्य बीज पालन कार्य के माध्यम से रोजगार का अतिरिक्त साधन उपलब्ध कराने की दृष्टि से राजससंघ द्वारा विकेन्द्रीकृत मत्स्य बीज पालन नर्सरी का संचालन किया जा रहा है।

योजना अन्तर्गत स्थानीय जनजाति की स्वयं की भूमि पर बीज पालन हेतु पर्याप्त पानी स्त्रोत एवं उपयुक्त किस्म की मिट्टी उपलब्ध होने की स्थिति में लगभग तीन बीघा निजी भूमि क्षेत्र में 600 घन मीटर की प्रति ईकाई से दो मत्स्य बीज पालन नर्सरी निर्माण एवं मत्स्य बीज पालन कार्य के माध्यम से आय का अतिरिक्त साधन उपलब्ध कराया जाता है।

योजना अन्तर्गत कार्य के मूल्यांकन के आधार पर ईकाई पर वास्तविक लागत का 75 प्रतिशत अनुदान राशि का स्थान्तरण सीधे लाभान्वितों के बैंक खातों में हस्तान्तरण योग्य रहती है व प्रथम वर्ष के लिये 100 प्रतिशत अनुदान पर मत्स्य बीज वितरण का भी प्रावधान है। योजना का सम्पूर्ण लाभ संबंधित जनजाति लाभान्वित को प्राप्त होगा। लाभान्वित के द्वारा नर्सरी से प्राप्त मत्स्य बीज की बिक्री करने के लिये स्वतंत्र है व राजससंघ द्वारा भी आवश्कतानुसार उक्त मत्स्य बीज क्रय किया जा सकता है।

वर्तमान में उपयोजना क्षेत्र में पूर्व में निर्मित 3 नर्सरियों सहित अब तक उदयपुर जिले क्षेत्र में चार स्थल, बांसवाडा क्षेत्र में पांच स्थल एवं डूंगरपुर जिले में दो स्थलों पर मत्स्य बीज पालन नर्सरी स्थापित है।

उक्त अनुसार स्थापित विकेन्द्रीकृत मत्स्य बीज पालन नर्सरी के लाभान्वितों को प्रथम वर्ष प्रति नर्सरी 5.00 लाख स्पान मत्स्य बीज शत प्रतिशत अनुदान पर पालन के लिये उपलब्ध कराया गया। जनजाति मत्स्य बीज पालकों द्वारा उपलब्ध कराये गये मत्स्य बीज को पालन पश्चात् प्राप्त विभिन्न अवस्था के मत्स्य बीज यथा फ्राई, एडवान्स फ्राई एवं आंगुलिक अवस्था के मत्स्य बीज अपने मत्स्य पालन जलाशय में संचय उपरान्त अन्यत्र भी विक्रय किया गया। साथ ही आवश्यकता होने पर राजससंघ द्वारा भी क्रय किया गया। इन मत्स्य बीज पालनकों के द्वारा नर्सरी में पानी की उपलब्धता के आधार पर प्रति वर्ष 50 प्रतिशत अनुदान के आधार पर राजससंघ से मत्स्य बीज प्राप्त कर रहे है।

उक्त संचालित योजना के माध्यम से क्षेत्र में मत्स्य बीज की उपलब्धता होकर स्थानीय जनजाति प्रति स्थानीय रूप से मत्स्य बीज पालको को प्रति वर्ष राशि रूपये 0.70 से 1.00 लाख की अतिरिक्त आमदनी प्राप्त हो रही है।

प्रारम्भ में यह नया व्यवसाय होने से स्थानीय जनजातियों की इसके प्रति रूचि कम रही थी परन्तु अब धीरे धीरे स्थानीय जनजाति इस योजना से मत्स्य बीज पालन कार्य के प्रति पे्ररित हो रहे है। यहां तक बांसवाडा जिले में भूदानपुरा में मत्स्य बीज पालक श्री ताराचन्द खराडी द्वारा मत्स्य बीज पालन कार्य के सफलतापूर्वक सम्पादन पर अपने स्वयं के व्यय पर मत्स्य बीज उत्पादन हेचरी का निर्माण किया जाकर वर्तमान में अपने स्वयं के उत्पादित मत्स्य बीज का अपने जलाशयों में संचय किये जाने के उपरान्त अधिशेष बीज का अन्यत्र विक्रय किया गया है। इस वर्ष इनके द्वारा इनकी हेचरी से लगभग 1.00 करोड स्पान उत्पादित किया गया जिसके इनकी नर्सरी में पालन पश्चात् विभिन्न अवस्था के मत्स्य बीज राशि रूपये 1.00 लाख का अन्यत्र विक्रय उपरान्त लगभग 2.00 लाख मत्स्य बीज आंगुलिक इनके स्वयं के पांच जलाशयों में संचित किया गया है। इनके द्वारा मत्स्य बीज पालन कार्य सफलतापूर्वक किया जा रहा है। इनसे बीज पालन अनुभव प्राप्ति हेतु मोबाइल न. 9929625227 पर संपर्क किया जा सकता है।

 

वन धन योजना

प्रथम चरण में वित्तीय  वर्ष 2019-20 में गठित वनधन विकास केन्द्रों की अद्यतन स्थिति निम्नानुसार है-

S.No.

District

Sanctioned VDVKs

No of Beneficiaries

Funds Approved 

(Rs. in lacs)

Funds Transferred for Training/ Toolkits   

(Rs. In lacs)

1

Udaipur

15

4498

222.60

153.42

2

Banswara

2

608

29.60

4.00

3

Dungarpur

2

605

30.00

10.00

4

Pratapgarh

2

645

30.00

4.00

5

Sirohi

5

1524

75.00

36.00

6

Baran

1

310

15.00

0.00

 

Total

27

8190

402.20

207.42

 

द्वितीय चरण में वित्तीय  वर्ष 2020-21 में गठित वनधन विकास केन्द्रों की अद्यतन स्थिति निम्नानुसार है-

S.No.

District

Sanctioned VDVKs

No of Beneficiaries

Funds Approved

(Rs. in lacs)

Funds Transferred for Training/ Toolkits

(Rs. In lacs)

1

Udaipur

64

19517

960.00

315.00

2

Banswara

40

12123

600.00

200.00

3

Dungarpur

35

10540

525.00

175.00

4

Pratapgarh

23

6922

345.00

105.00

 

Total

162

49102

2,430.00

795.00

 

तृतीय चरण में वित्तीय  वर्ष 2021-22 में गठित वनधन विकास केन्द्रों की अद्यतन स्थिति निम्नानुसार है-

S.No.

District

Sanctioned VDVKs

No of Beneficiaries

Funds Approved

(Rs. in lacs)

 

Funds Transferred for Training/ Toolkits 

(Rs. In lacs)

1

Udaipur

69

20700

1,035.00

0.00

2

Banswara

40

12093

600.00

0.00

3

Dungarpur

35

10527

525.00

0.00

4

Pratapgarh

22

6595

327.35

0.00

5

Sirohi

22

7088

324.75

0.00

6

Baran

28

8290

414.50

0.00

7

Kota

22

6645

298.15

0.00

8

Jhalawar

52

15573

778.65

0.00

 

Total

290

87511

4,303.40

0.00

 

प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय चरण में गठित एवं स्वीकृत 479 वनधन विकास केन्द्रों  की एकीकृत जिलेवार स्थिति निम्नानुसार है-

S.No.

Distric

No. of Block

Sanctioned VDVKs

No of Beneficiaries

Funds Approved

(Rs. in lacs)

Funds Transferred for Training / Toolkits

(Rs. In lacs)

1

Udaipur

20

148

44715

2,217.60

468.42

2

Banswara

11

82

24824

1,229.60

204.00

3

Dungarpur

10

72

21672

1,080.00

185.00

4

Pratapgarh

6

47

14162

702.35

109.00

5

Sirohi

2

27

8612

399.75

36.00

6

Baran

6

29

8600

429.50

0.00

7

Kota

4

22

6645

298.15

0.00

8

Jhalawar

4

52

15573

778.65

0.00

 

Total

63

479

144803

7,135.60

1,002.42

 

 

Website last update: 31/01/2024 11:16:30

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