विभागीय योजनाऐं
विभागीय योजनाऐं -
1. मत्स्य योजनाऐं (जून 2022 तक) -
1.1. मत्स्य बीज (स्पान) उत्पादन, एवं विभिन्न तालाबों में संचय
राजससंघ द्वारा स्वंय अपनी मत्स्य बीज हेचरी जयसमन्द पर मत्स्य बीज उत्पादन कर परियोजना अन्तर्गत चयनित जलाशयों में अनुदान पर संचित कर जनजाति मछुआरों को लाभान्वित किया जा रहा है। राजससंघ द्वारा वर्ष 2021-2022 के दौरान 82.00 लाख उत्पादित स्पान मत्स्य के पालन पश्चात प्राप्त हो रहा 24100 मत्स्य बीज आंगुलिक वितरित की जाकर 110 जनजाति मछुआरो को लाभान्वित किया गया।
1.2. समेकित मत्स्य विकास परियोजनाः प्रगति प्रतिवेदन
राजससंघ द्वारा उपयोजना क्षैत्र के बांसवाडा, डूंगरपुर,उदयपुर एवं प्रतापगढ जिलों में समेकित मत्स्य विकास परियोजना के अन्तर्गत छोटे जलाशयों में मछली पालन के माध्यम से स्थानीय रोजगार का अतिरिक्त साधन उनके घर के समीप उपलब्ध कराया जा रहा है। उक्त योजना बांसवाडा जिले में वर्ष 2006-2007 डूंगरपुर तथा उदयपुर जिले में 2007-2008 से तथा प्रतापगढ जिले में वर्ष 2014-2015 से संचालित की जा रही है। योजनान्तर्गत अब तक कुल 194 जलाशयों के 2031 हेक्टर जल क्षैत्र में मछली पालन का कार्य किया जा रहा है। इस कार्य से 1917 स्थानीय परिवार जुडे हुऐ है।
योजना अन्तर्गत जनजाति मछुआरा सदस्यों को प्रशिक्षण, जनजाति मछुआरों को विभिन्न अवस्था के भारतीय मेजर कार्प के मत्स्य बीज वितरण, नाव-जाल वितरण व जलाशयों का मात्स्यकीय तकनीकी उन्नयन इत्यादि मत्स्य विकास कार्य सम्पादित किये जाते है। योजना के प्रावधानों के अनुरूप 589 लाभान्वितों को निःशुल्क 225 नावे व 4545 क्रि.ग्रा मत्स्याखेट जाल वितरण के लक्ष्य के अनुरूप अब तक 205 नावे व 4140 KG मत्स्याखेट जाल 514 लाभान्वित को वितरित किया जा चुका है शेष कार्य प्रगति पर है।
1.3 जनजाति उपयोजना क्षैत्र में मत्स्य गतिविधि को बढावा दिए जाने के लिए राजससंघ को भारत सरकार से विशेष केन्द्रीय सहायता मद में मत्स्य विकास कार्यक्रम के लिये कुल राशि रूपये 10.00 करोड प्राप्त हुऐ जिसके अन्तर्गत योजना के प्रावधान अनुरूप अब तक राजससंघ की जयसमन्द हेचरी पर एक प्रजनक व एक मत्स्य बीज पोण्ड निर्माण के साथ पोण्ड का लीक पु्रफिंग कार्य व हेचरी शेड माॅडीफिकेशन, भवन मरम्मत कार्य किया गया इसी योजना की निरन्तरता में महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की मत्स्य हेचरी विकास एवं सुदृढीकरण कार्य 484 जनजातियों को विभिन्न मत्स्य प्रशिक्षण जयसमन्द पर आवासीय जनजाति मत्स्य प्रशिक्षण केन्द्र का भवन निर्माण, चार खुदरा मछली बिक्री दुकान, तेरह बुथ निर्माण 17 जलाशयों पर सत्रह फिश हेण्डलिंग शेड निर्माण व सात स्थलों पर विकेन्द्रीकृत मत्स्य बीज पालन नर्सरी स्थापना कार्य पूर्ण कर वर्ष अंत तक राशि रूपये 478.09 लाख का उपयोग किया जा चुका है। योजना कार्य प्रगति पर है।
उपयोजना क्षैत्र में निवासरत अधिक से अधिक जनजातियों को मत्स्याखेट कार्य के माध्यम से रोजगार का अतिरिक्त साधन उपलब्ध कराने की दृष्टी से क्षैत्र के 3224 जनजातियों की 104 नवीन मत्स्याखेट सहकारी समिति का गठन कर लिया गया है। जिसमे से अब तक 71 समितियों का पंजीकरण कार्य पूर्ण कर लिया गया है। इसके साथ ही इन पंजीकृत समितियों को मत्स्याखेट हेतु जलाशय आवंटन किये जाने के लिये राजस्थान जनजाति परार्मशदात्री परिषद की बैठक दिनांक 21.12.2017 के निर्देशानुसार मत्स्य विभाग राजस्थान सरकार द्वारा जारी राजस्थान मत्स्य (संशोधन)नियम 2021 के तह्त पंचायत राज विभाग के अधीनस्थ आने वाली 40 जलाशयों पर राजससंघ द्वारा 42 मत्स्याखेट सहकारी समितियों के जलाशय आवंटन के प्रस्ताव में से अब तक 25 मत्स्याखेट सहकारी समितियों को 24 जलाशय आरक्षित दर पर मत्स्याखेट हेतु आवंटन किये जा चुके है।
2. वन धन योजना -
- प्रारंभ - वनधन योजना वर्ष 2018-2019 से प्रारम्भ।
- उदेश्य - यह योजना एम.एस.पी फाॅर एम.एफ.पी. योजना का विस्तार है, जिसका उदेश्य बिचौलियों से बचने तथा जनजाति समुदाय द्वारा क्षेत्र में पैदा होने वाली लघुवन, कृषि, औषधीय तथा उद्यानिकी उपजो एवं अन्य उत्पादों का संग्रहण, मूल्य संवर्धन, विपणन पश्चात उचित मूल्य दिलवाया जाना तथा आजीविका अर्जित करा उनकी आय में वृद्धि कराना है।
- योजना - जनजातीय कार्य मंत्रालय भारत सरकार की योजना, जिसमे ट्राईफेड़ (भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ लिमिटेड) राष्ट्रीय स्तरीय शीर्ष संस्था, जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग राज्य नोडल विभाग, राजससंघ (राजस्थान जनजाति क्षेत्रीय विकास सहकारी संघ लि0.) राज्य कार्यान्वयन एजेन्सी संस्था तथा अब तक 479 गठित वनधन विकास केन्द्रों में राजीविका द्वारा गठित 461 वनधन विकास केन्द्रों के लिये राजीविका संरक्षक संस्था के रूप में कार्यरत है।
- योजना के सफल क्रियांवयन के लिये प्रशासनिक सुधार विभाग द्वारा राज्य स्तर पर मुख्य सचिव तथा जिला स्तर पर संबंधित जिला कलक्टरों की अध्यक्षता में राज्य तथा जिला स्तरीय समन्वय एवं मॉनिटरिंग कमेटी का गठन दिनांक 08.03.2021 को किया जा चुका है तथा राज्य स्तरीय समन्वय एवं मॉनिटरिंग कमेटी की प्रथम बैठक का दिनांक 13.04.2022 को आयोजन किया जा चुका है।
- योजना वर्तमान में राज्य के 8 जिले यथा उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, सिरोही, बारां, कोटा एवं झालावाड़ में संचालित है। जिससे लगभग 144803 सदस्य लाभान्वित होंगे।
- जनजाति समुदाय के निवास स्थान के निकटस्थ प्रारम्भ किये जाने वाले 300 सदस्यीय एक वनधन विकास केन्द्र का गठन औसतन 20 सदस्यों के 15 स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से किया जाता है, जिसमें जनजाति समुदाय से न्यूनतम 60 प्रतिशत सदस्य होने आवश्यक है ।
- एक वनधन विकास केन्द्र के लिए प्रति इकाई प्रशिक्षण, प्रचार-प्रसार तथा टूल किट इत्यादि क्रय के लिये ट्राईफेड के माध्यम से कुल 15.00 लाख रुपये का प्रावधान किया गया है।