उपलब्धियां
विभागीय योजना |
उपलब्धियां (मार्च 2023 तक) 1.1मत्स्य बीज (स्पान) उत्पादन, एवं विभिन्न तालाबों में संचय राजससंघ द्वारा स्वयं अपनी मत्स्य बीज हेचरी जयसमन्द पर मत्स्य बीज उत्पादन कर परियोजना अन्तर्गत चयनित जलाशयों में अनुदान पर संचित कर जनजाति मछुआरों को लाभान्वित किया जा रहा है। राजससंघ द्वारा वर्ष 2022-2023 के दौरान 140.5 लाख स्पान उत्पादित कर 221 जनजाति मछुआरों को लाभान्वित किया गया। 1.2 समेकित मत्स्य विकास परियोजनाः राजससंघ द्वारा उपयोजना क्षैत्र के बांसवाडा, डूंगरपुर,उदयपुर एवं प्रतापगढ जिलों में समेकित मत्स्य विकास परियोजना के अन्तर्गत छोटे जलाशयों में मछली पालन के माध्यम से स्थानीय रोजगार का अतिरिक्त साधन उनके घर के समीप उपलब्ध कराया जा रहा है। उक्त योजना बांसवाडा जिले में वर्ष 2006-2007 डूंगरपुर तथा उदयपुर जिले में 2007-2008 से तथा प्रतापगढ जिले में वर्ष 2014-2015 से संचालित की जा रही है। योजनान्तर्गत अब तक कुल 202 जलाशयों के 2421 हेक्टर जल क्षैत्र में मछली पालन का कार्य किया जा रहा है। इस कार्य से 2091 स्थानीय परिवार जुडे हुऐ है। योजना अन्तर्गत जनजाति मछुआरा सदस्यों को प्रशिक्षण, जनजाति मछुआरों को विभिन्न अवस्था के भारतीय मेजर कार्प के मत्स्य बीज वितरण, नाव-जाल वितरण व जलाशयों का मात्स्यकीय तकनीकी उन्नयन इत्यादि मत्स्य विकास कार्य सम्पादित किये जाते है। योजना के प्रावधानों के अनुरूप 589 लाभान्वितों को निःशुल्क 225 नाव व 4545 क्रि.ग्रा मत्स्याखेट जाल वितरण के लक्ष्य के अनुरूप गत दो वर्ष के दौरान अब तक 223 नावे व 4433 किलोग्राम मत्स्याखेट जाल 568 लाभान्वित को वितरित किया जा चुका है शेष कार्य प्रगति पर है।
1.3 जनजाति उपयोजना क्षैत्र में मत्स्य गतिविधि को बढावा दिए जाने के लिए राजससंघ द्वारा विशेष केन्द्रीय सहायता के अंतर्गत मत्स्य विकास कार्यक्रम का संचालन वर्ष 2015 -2016 से किया जा रहा है जिसमें योजना के प्रावधानों के अनुरूप अब तक राजससंघ की जयसमन्द हेचरी पर एक प्रजनक व एक मत्स्य बीज पोण्ड निर्माण के साथ पोण्ड का लीक प्रुफिंग कार्य व हेचरी शेड मॉडिफिकेशन, हैचरी भवन मरम्मत कार्य किया जा चुका है। इसी योजना की निरन्तरता में महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की मत्स्य हेचरी विकास एवं सुदृढीकरण कार्य, 549 जनजातियों को विभिन्न मत्स्य प्रशिक्षण, जयसमन्द पर जनजाति आवासीय मत्स्य प्रशिक्षण केन्द्र जयसमन्द की स्थापना, 4 खुदरा मछली बिक्री दुकान व 13 बूथ निर्माण, 17 जलाशयों पर 17 फिश हेण्डलिंग शेड निर्माण व 7 स्थलों पर विकेन्द्रीकृत मत्स्य बीज पालन नर्सरी स्थापना कार्य पूर्ण कर वर्ष अंत तक राशि 478.09 लाख रूपयों का उपयोग किया जा चुका है। योजना कार्य प्रगति पर है।
उपयोजना क्षैत्र में निवासरत अधिक से अधिक जनजातियों को मत्स्याखेट कार्य के माध्यम से रोजगार का अतिरिक्त साधन उपलब्ध कराने की द्रष्टि से क्षैत्र के 3224 जनजातियों की 104 नवीन मत्स्याखेट सहकारी समिति का गठन कर लिया गया है। जिसमे से अब तक 73 समितियों का पंजीकरण कार्य पूर्ण कर लिया गया है। इसके साथ ही इन पंजीकृत समितियों को मत्स्याखेट हेतु जलाशय आवंटन किये जाने के लिये राजस्थान जनजाति परार्मशदात्री परिषद की बैठक दिनांक 21.12.2017 में दिए गए निर्देशानुसार मत्स्य विभाग राजस्थान सरकार द्वारा जारी राजस्थान मत्स्य (संशोधन)नियम 2021 के तह्त पंचायत राज विभाग के अधीनस्थ आने वाले 42 जलाशयों पर राजससंघ द्वारा 44 मत्स्याखेट सहकारी समितियों का जलाशय आवंटन के प्रस्ताव में से अब तक 25 मत्स्याखेट सहकारी समितियों को 24 जलाशयों का आरक्षित दर पर मत्स्याखेट आवंटन प्राप्त हो चुके है। वन धन योजना
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